साधन - संकेत
संख्या पूर्वक माला करते हुए एक बात और ध्यान देने योग्य यह है
कि हमें नाम-जप सँख्या 16, 20, 22, 24, 32 व 64 आदि सम
संख्या रखनी चाहिए 15, 19, 21 , 25, 31, 63 आदि विषम नहीं।
छः तत्व परिचय
- श्रीगुरुदेव – श्री नित्यानन्द स्वरुप या श्रीराधा की प्रिय सखी।
- श्रीकृष्णचैतन्य – ईशस्वरुप – श्रीकृष्ण (राधाकृष्णमिलिततनु)
- श्रीनित्यानन्द – ईशप्रकाश – श्रीबलराम
- श्रीअद्वैत – ईशावतार – श्रीमहाविष्णु का अवतार
- श्री गदाधर – ईशशक्ति – श्री राधारानी
- श्रीश्रीवास – ईशभकक्त – श्रीनारद
श्रीतुलसी चयन मन्त्र
तुलस्यामृत जन्मासि सदा त्वं केशवप्रिये
केशवार्थे चिनोमि त्वां वरदा भव शोभने॥
श्रीतुलसीप्रदक्षिण मन्त्र
यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यादिकानि च।
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिणा: पदे पदे।॥
वैष्णव सदाचार
- मस्तक पर तिलक सदा रहना चाहिए। मिटने पर दोबारा लगाना चाहिए।
- वैष्णवों को शिखा धारण करना विशेष आवश्यक है।
- एकादशी, कृष्ण जन्माष्टमी, नित्यानन्द त्रयोदशी, गौरपूर्णिमा, रामनवमी, नृसिंह चतुर्दशी, बलदेव पूर्णिमा का ब्रत विशेष हर्षोल्लाहस के साथ उत्सव व अभिषेक से करना चाहिए।
- प्रतिदिन कम से कम 6 माला जप करना अत्यन्त आवश्यक है।
- लघुशंका के बाद जल शौच करके जल से हाथ पांव धोना एवं दीर्घशंका के बाद स्नान एवं कपड़े अवश्य बदलना चाहिए। अर्थात् शौचालय में अपने पहने हुए वस्त्र नहीं ले जाने चाहिए। उसके लिए कुछ अलग वस्त्र हों तो ठीक है। (जैसे – गमछा)
- जूते पहनकर तथा बिस्तर पर बैठकर प्रसाद (भोजन) नहीं करना चाहिए।
- तुलसी कण्ठी धारण किए बिना प्रसाद नहीं पाना चाहिए।
- हरिनाम माला जप करते समय सावधान रहना चाहिए अर्थात टी, वी, देखना व गपशप नहीं लगाना चाहिए।