जयध्वनि | Jaydhwani Gaudiya Vaishnavism
जय श्रीश्री गुरु गौरांगौ गान्धर्विका गिरिधारी की जय।
जय ऊँ विष्णुपाद अष्टोत्तरशत श्रीश्रीमद् भक्ति प्रसाद विष्णु गोस्वामी गुरु महाराज की जय।
जयनित्यलीला प्रविष्ट ऊँ विष्णुपाद अष्टोत्तशत
श्री श्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज की जय।
जयनित्यलीला प्रविष्ट ऊँ विष्णुपाद श्री श्रीमद् रुपानुगवर भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद की जय।
जय श्री श्रील गौर किशोरदास बाबा जी महाराज की जय।
श्री श्रील सच्चिदानन्द भक्ति विनोद ठाकुर की जय।
जय वैष्णव सार्वभौम जगन्नाथ दास बाबाजी महाराज की जय।
जय गौडीय वेदान्ताचार्य श्रीमद् बलदेव विद्याभूषण प्रभु की जय।
जय श्री श्रील विश्वनाथ चक्रवती ठाकुर महाशय की जय।
जय श्रील नरोत्तम, श्यामानन्द श्रीनिवासाचार्य प्रभु त्रय की जय।
जय श्रील कृष्णदास कविराज गोस्वामी प्रभु की जय।
जय श्री रुप सनातन भट्टरघुनाथ श्री जीव गोपाल भट्ट दास रघुनाथ
षड् गोस्वामी की जय।
प्रेम से कहो श्री कृष्ण चैतन्य प्रभुनित्यानन्द श्री अद्ैत गदाधर
श्रीवासादि गौर भक्त वृन्द की जय। .
जय स्वरूप दामोदर श्री राय रामानन्द प्रभु की जय।
जय नामाचार्य हरिदास ठाकुर की जय।
जय लक्ष्मी प्रिया विष्णुप्रिया ठकुरानी की जय
जय जगन्नाथ मिश्र शची माता कौ जय।
जय अर्न्तद्वीप श्रीधाम मायापुर सीमन्तद्वीप मध्यद्वीप कोल द्वीप ऋतद्वीप,
जहनुद्दीप मोदद्वुम द्वीप गोह्म ह्वीप रुद्रह्वीपात्मक नवद्वीप धाम की जय।
आकर मठराज श्री चैतन्य मठ की जय।
ईशोद्यान स्थित मूल श्री चैतन्य गौड़ीय मठ की जय।
श्री बलदेव जगन्नाथ सुभद्रा माई की जय।
जय पुरुषोत्तम धाम श्री जगननाथपुरी की जय।
जय श्रीमन् मध्वाचार्य, रामानुजाचार्य , विष्णुस्वामी, निम्बार्काचार्य
वैष्णव आचार्य चतुष्टय की जय।
चारों वैष्णव सम्प्रदाय की जय।
चतुः सम्प्रदायी गुरु परम्परा की जय।
जय श्री राधा मदनमोहन श्री राधा गोविन्द श्रीराधा गोपीनाथ की जय।
जय श्री राधा कृष्ण, गोप-गोपी, गोवर्धन, श्याम कुण्ड, राधा कुण्ड,
मानसी गंगा, नन्दग्राम बरसाना, यमुना, मथुरा, द्वादश वनात्मक ब्रजमण्डल की जय।
जय मधुवन, ताल वन, कुमुदवन, बहुलावन, काम्यवन, खदिर वन,
भद्र वन, भाण्डीर वन, बिल्व वन, वृंदावन, लौह वन, गोकुल
महाबनात्मक, ब्रजमण्डल की जय।
जय विघ्न विनाशकारी भक्तवत्सल नृसिंह देव की जय।
जय भकक््तराज प्रहलाद महाराज की जय।
जय तुलसी महारानी की जय।
जय भक्ति महारानी की जय।
विश्ववैष्णव राज सभा की जय।
रुपानुग गुरुवर्ग की जय।
सारस्वत गौड़ीय वैष्णव जन की जय।
निताइ गौर प्रेमानन्दे हरि हरि बोल।